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Sunday, January 27, 2013

दामिनी का दर्द दिल को कचोटता रहा रात भर 
जश्न ओ ख्वाहिशों को खाक करता रहा रात भर 
धुप अंधेरो में रौशनी नहीं दिखती ,
मर्सिया पढूं या दुआ करू सोचता रहा रात भर 

फिर भी नए साल की रस्म अदायगी करनी है ... साल अच्छा हो सबके लिये

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