दामिनी का दर्द दिल को कचोटता रहा रात भर
जश्न ओ ख्वाहिशों को खाक करता रहा रात भर
धुप अंधेरो में रौशनी नहीं दिखती ,
मर्सिया पढूं या दुआ करू सोचता रहा रात भर
फिर भी नए साल की रस्म अदायगी करनी है ... साल अच्छा हो सबके लिये
जश्न ओ ख्वाहिशों को खाक करता रहा रात भर
धुप अंधेरो में रौशनी नहीं दिखती ,
मर्सिया पढूं या दुआ करू सोचता रहा रात भर
फिर भी नए साल की रस्म अदायगी करनी है ... साल अच्छा हो सबके लिये
No comments:
Post a Comment