गुणी जनों ,
आपके पठनार्थ अपनी पहली ग़ज़ल आपसभी को प्रेषित कर रहा हूँ ....ध्यान रखेंगे , मकता (अंतिम शेर ) में मैंने कुछ गुजारिश भी की है.. आपका उत्साह वर्धन हुआ तो आगे भी कलम चलेगी ...धन्यवाद !!
आप तो आंसू बहा लेते हैं बिना बात के
हम पी जाते हैं आंसू सभी जज्बात के
निहाल हो जाते थे हम पापा के घर आते ही
अब बच्चे मुस्कराते नहीं बिना सौगात के
पतझड़ में भी फूटने लगी है कोंपल
मुर्गे बांगने लगे अब आधी रात के
हर बात के वो ढूंढते हैं मतलब
क्या हो नहीं सकती बात, बिना बात के
दोस्त तो दोस्त दुश्मन भी चुने जाते है
वे अपनी जात के है, या दूसरी जात के
भीगते भीगते खुद पे रो लेता हूँ मै .
वो समझते हैं पानी है बरसात के
अच्छा न लगे तो भी कहना अच्छा
शुरू हो तो जाये सिलसिले गजलात के
--------------योगेश किसलय
No comments:
Post a Comment