Total Pageviews

Tuesday, August 23, 2011

MAA

माँ

मौत के आगोश में जब थक के सो जाती है माँ

तब जाकर थोडा सा सुकून पाती है माँ ,

फ़िक्र में बच्चो के कुछ इस तरह घुल जाती है माँ ,

के जवान होकर भी बूढी नजर आती है माँ ,

ओढती है खुद तो ग़ुरबत का बोशीदा कफ़न ,

चाहतो का पैरहन बच्चो को पहनाती है माँ ,

रूह के रिश्ते की ये गहराइयाँ तो देखिये ,

चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ ,

जाने कितने बरस रातो में ऐसा भी हुआ ,

बच्चा तो छाती पे है, गीले में सो जाती है माँ ,

प्यार कहते हैं किसे और ममता चीज है क्या ,

कोई उनसे पूछे जिन बच्चो की मर जाती है माँ ,


कांपती आवाज से कहती है ,बेटा अलविदा ..

सामना जब तक रहे हाथो को लहराती है माँ

---------------- माँ ईश्वर का एक अनुपम वरदान ...


No comments:

Post a Comment