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Friday, May 10, 2013

ख्वाब  टूट गए , वहम टूट गए 
नींद में तो जिन्दा थे जगते ही टूट गए

जिनके लिए हमने पाई पाई जोड़ी थी 
बेदर्द समझे नहीं उसको  ही लूट गए 

परिंदे आजाद रहे ,सो पिंजरे को खोला 
दरिन्दे समझे नहीं हमको ही खूंट गए 

 ताउम्र बांचते रहे दूसरो के लिए दुवाएं
रहमत जो होने लगी हमही तो छूट गए 

कसम ली थी कि नहीं पियेंगे शराब 
जफ़ा मिली तो कई कई पेग घूँट गए 

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